सोये जज्बात को लोगो मे जगाना होगा,
जूझते है जो गरीबी से बचाना होगा।
चोट.. देते ..हैं ..हमे यार छिपाना होगा,
जख्म जो दोगे तो मरहम भी लगाना होगा।
खोल बैठी थी मैं यादो के पुराने फोटो,
सोचती यार को सब कुछ ही दिखाना होगा।
भूल बैठे थे जो जज्बात गरीबो के,दिल से,
सोये जज्बात को लोगो के जगाना होगा।
खूबसूरत सा बना ख्याब मेरे दिलवर का,
ख्याब टूटे न कभी सोच छुपाना होगा।
– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़