बेवजह दिल जलाना नहीं चाहिए,
हर जगह मुस्कुराना नहीं चाहिए।
कौन चाहें भला लोग जलते यहाँ,
बात दिल की बताना नहीं चाहिए।
दोघड़ी हीं सही चैन आराम हो,
दर्द हरदम जताना नहीं चाहिए
प्यार हीं जिंदगी प्यार से हीं खुशी,
प्यार दिल से भुलाना नहीं चाहिए।
जिंदगी बंदगी कर इबादत सदा,
आदमी को सताना नहीं चाहिए।
कौन खुशहाल है जी रहें हैं सभी,
अश्क हरदम बहाना नहीं चाहिए।
जीत क्या हार क्या बोल तकरार क्या,
दिल ‘अनि’ का दुखाना नहीं चाहिए।
– अनिरुद्ध कुमार सिंह, धनबाद, झारखंड