छुपा कर दर्द धड़कन में खुशी के गीत गाते हो ,
बनाकर लेखनी को मित्र अपने गम भुलाते हो।
नहीं जो हो सका अपना तवज्जो मत उसे देना,
पते की बात यह कह कर दुखी को तुम हँसाते हो।
रहा है श्रेष्ठ जग में फायदा ही प्रेम से ज्यादा,
न ढूँढ़ो प्रेम दुनियाँ में तभी तो तुम सिखाते हो।
वफा के नाम पर जग में अनोखे खेल होते ‘मधु’
इसी कारण मिलन को भी जुदाई कवि बताते हो।
बँधातीं धीर जिनको आप की बातें वही कहते,
मनुज कल्याण की खातिर तजुर्बों को सुनाते हो।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश