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ग़ज़ल – रीता गुलाटी

रूठना तेरा बढे़गा कब तलक,

रूप का जादू दिखेगा कब तलक।

 

राह मे बैठे तेरे दीदार को,

चाँद से बादल छंटेगा कब तलक।

 

कर रहा हूँ अर्ज-ए-उल्फत यार मैं,

हाले दिल मेरा लुटेगा कब तलक।

 

बात दिल की तू समझ पाया नही,

जान बनके तू छलेगा कब तलक।

 

डूब जाती हूँ तेरी आँखो मे बस,

प्यार तेरा ये चलेगा कब तलक।

 

लफ्ज़ तेरे प्यार के दिल पर लिखे,

फिर मिटाकर फिर लिखेगा कब तलक।

 

हार  बैठी  दिल  मै तेरे सामने,

प्यार तेरा अब मिलेगा कब तलक।

 

इश्क़ तेरा है मेरे शेरों में बस

जाने ये जादू चलेगा कब तलक

– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़

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