मनोरंजन

मेरे एहसास – ज्योति श्रीवास्तव

रंग  उल्फ़त  भरा धोलता  कौन  है,

चैन   को  लूटता  हमनवा  कौन है।

दूर महफ़िल मे वो देखता जो खड़ा,

मुस्कुराता  सा  वो  मुर्तज़ा कौन है।

जो कविता ग़ज़ल गीत बनकर के जो,

धुन पर गाकर शमां बांधता कौन है।

प्रेम का दीप मन में जो कर प्रज्वलित

प्यार आंखों  में  ले  देखता कौन है।

यें  खिली सी सुबह  झांकती धूप है,

रंग  मौसम  में  सुन्दर  भरा कौन है।

जिंदगी ग़र जो भटके सहारा जो दे,

मार्ग पर  जो सही  मोड़ता  कौन है।

फूल कलियों से खिलती हुई डालियाँ

“ज्योटी” महका शमां ला रहा कौन है।

– ज्योति श्रीवास्तव, नोएडा, उत्तर प्रदेश

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