( 1 )” म “, मकरंद मधु सी
खूशबू फैलाए चहुँओर,
चले आप खिलाए नव आशा भोर !!
( 2 )” हे “, हेतु बनें
श्रीमहेन्द्रजी खुशी के,
चले प्रफुल्लित मन से हरेक ओर !!
( 3 )” न् “, न्यारे दुलारे
सभी के प्यारे,
चले छोड़ते छाप व्यक्तित्व की चहुँओर !!
( 4 )” द्र “, द्रवित हृदय
है करुणामय लालित्य,
चले प्रकाश फैलाए आप सभी ओर !!
( 5 )” महेन्द्र “, महेन्द्र प्रिय
बसें सभी के हिय,
हों शतायु आप, स्वस्थ चित्त मन लिए !!
– सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान