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बिहार पीछे क्यूँ? – आर्तिका बरनवाल

neerajtimes.com- अतीत में बिहार किस तरह से भारत का एक सबसे सशक्त और महत्वपूर्ण राज्य था और आज का बिहार किस प्रकार से पिछड़ा हुआ है? यह चिंतन का विषय है।

बिहार के वर्तमान के बारे में अगर बात करें तो प्रथम बिंदु यह है कि बिहार सर्वाधिक आईएएस और पीसीएस देने वाला राज्य भी है और दूसरा बिंदु यह है कि यहां पर साक्षरता दर सबसे कम है।

जब इतिहास में झांका जाय तो पता चलता है कि बिहार उस मगध साम्राज्य का केंद्र रहा है, जिसने महाजनपद काल की सातवीं शताब्दी तक लगभग 1200 वर्षों भारतवर्ष में शासन किया। इस मगध साम्राज्य ने ही बिंबिसार, महावीर, मौर्यकाल में सम्राट अशोक और गुप्त काल में समुद्रगुप्त जैसे नायक दिए। गुप्तकाल को ही भारत का स्वर्णिम काल कहा जाता है, जहां खगोलशास्त्र, दर्शनशास्त्र, संख्या शास्त्र, विज्ञान और धर्म की अभूतपूर्व प्रगति हुई। बिहार में ही विश्व प्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय स्थित था। आर्यभट्ट तथा नागार्जुन जैसे महान गणितज्ञों का जन्म भी बिहार में ही हुआ था। आज भी दिल्ली के महरौली में स्थित लौह स्तंभ जिसे चंद्रगुप्त द्वितीय “विक्रमादित्य” ने बनवाया था, आज भी बिना जंग लगे खड़ा हुआ है। गुप्त काल को मंदिरों का भी स्वर्णकाल कहा जाता है, जिसमें देवगढ़ का प्रसिद्ध दशावतार मंदिर और कानपुर का भितरगांव मंदिर सुशोभित है। 13वीं शताब्दी के अंतिम दशक में मगध में सबसे बड़ी अपनी पहचान खो दिया, जब तुर्की शासक बख्तियार खिलजी ने 1193 में नालंदा विश्वविद्यालय में आग लगवा दी और कहा जाता है कि इस विश्वविद्यालय के पुस्तकालय में इतनी पुस्तकें थीं कि वे पूरे तीन महीने तक जलती रह गईं। इसके बाद कई आक्रमणकारियों ने बिहार को और भी बुरे तरीके से उजाड़ दिया।

आज फिर बिहार दो कारणों से सुर्खियों में है- हाल ही में एक शिक्षिका, जो बंगाल से संबंध रखती हैं, उनकी नियुक्ति बिहार में हुई। उन्होंने कुछ कारणों से बिहार पर टिप्पणी करते हुए कहा कि “भारत एक विकासशील देश है, जिस दिन बिहार को भारत से निकाल दिया जाएगा, उस दिन भारत एक विकसित देश बन जाएगा”।

दूसरी तरफ, यो यो हनी सिंह के एक गाने ने बिहार की प्रतिष्ठा को और भी धूमिल कर दिया, जिसका बोल है- “आई एम ए मानियाक, दिदिया के देवरा”, जो पंजाबी और भोजपुरी का मिश्रण है। इसे आज तक का सबसे महंगा भोजपुरी गाना कहा जा सकता है, जिसके कारण बिहार में इसकी आलोचना शुरू हो गई। इस गीत के भी कुछ बोल इसी तरीके के हैं जिस तरह कुछ ही दिन पहले रणबीर अलाहबादिया और समय रैना के शब्द थे, तो क्या यो यो हनी सिंह के भी ऊपर कोई टिप्पणी करेगा? क्या भोजपुरी अपनी पहचान इसी तरह की अश्लील शब्दों से पाएगा? बिहार की छवि, जो इस तरह से गिरे जा रही है, उस पर चिंतन करने की आवश्यकता है। हनी सिंह ने भी पूछने पर यह कहा कि वह यही सब देखते हुए बड़े हुए हैं। उन्होंने कई उदाहरण दिए कि गुलजार साहब ने जब “बीड़ी जलई ले जिगर से पिया” और “जुबान पर लगा नमक इश्क का” लिखा तो किसी ने कोई टिप्पणी नहीं की तो सिर्फ वही क्यों गलत है?

बात यहां पर किसी के ज्यादा अश्लील और कम अश्लील होने की नहीं है। बात यहां पर सिर्फ भाषा की मर्यादा की है और तमाम भोजपुरी गानों में भी अश्लील शब्दों का प्रयोग हुआ है। इसे सिर्फ महिलाओं की इज्जत को ही नहीं उछाला जाता, बल्कि भाषा और उस प्रदेश की छवि भी धूमिल हो रही है। समय रहते हमें भाषा की मर्यादा को सीमित करना होगा।

– आर्तिका बरनवाल , कादीपुर, सुल्तानपुर

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