मनोरंजन

ग़ज़ल – रीता गुलाटी

मुझसे अनजान था वो कुछ ऐसा नहीं,

जाने क्यों बस मेरी बात समझा नहीं।

 

हैं बहुत खूबसूरत यहां लोग और भी,

फिर भी तुझ सा ज़माने में देखा नहीं।

 

जो भी है कोई कीमत नहीं उसकी कुछ,

एक तेरे सिवा मुझ पे क्या क्या नहीं।

 

पत्थरों में खुदा इनका इनको दिखा,

बे वजह  यूं  कोई  सर झुकाता नहीं।

 

जाने जां वो मुझे उसको कहता हूं मैं,

अब से पहले था, था कोई रिश्ता नहीं।

– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़

Related posts

जाऊॅं कहाँ – नीलकान्त सिंह

newsadmin

बिहार एग्रीकल्चर कॉलेज “हार्ट ऑफ सबौर” सुंदर एवं भव्य

newsadmin

स्टोरी मिरर ऑनलाइन काव्य पाठ प्रतियोगिता सीजन-3 शुरू – गुरुदीन वर्मा

newsadmin

Leave a Comment