मनोरंजन

लफ़्ज़ों का जादूगर शायर – डॉ. जसप्रीत कौर फ़लक

साहिर;

वह लफ़्ज़ों का जादूगर

पल दो पल का शायर

उसने सहे

वक़्त के सितम

यहीं से बन गया उसका विद्रोही क़लम

 

कौन भूल सकता है

उसकी ज़िन्दगी की “तल्ख़ियाँ”

कौन भूल सकता है

उसके तसव्वर से उभरती “परछाइयाँ”

 

हालांकि;

लुधियाना शहर ने

उसे कुछ न दिया

रुसवाई और बेरुख़ी के सिवा

फिर भी;

उसने लगा रखा अपने सीने से

इस दयार का नाम…

 

उसके गीतों की सादगी

उसकी नज़्मों की गहराई

हर एक दिल पर… आज भी है छाई

 

उसने कहाः

” आओ कोई ख़्वाब बुनें ”

ज़िन्दगी के लिए…

किसी के लिये

 

उसने तमाम उम्र तल्ख़ियों का ज़हर पिया,

वह जब तक जिया अपनी शर्तों पर जिया।

 

वह ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया,

हर फ़िक्र को धुएं में उड़ाता चला गया।

 

उसने मज़लूमों के हक़ में

आवाज की बुलंद

औरत पर ज़ुल्म

उसे बिल्कुल नहीं था पसंद

 

इसीलिए तो उसने कहा;

“औरत ने जन्म दिया मर्दों को

मर्दों ने उसे बाज़ार दिया”।

 

उसने गीतों को इक वक़ार बख़्शा,

उसने फिल्मों को इक मैयार बख़्शा।

उसे जंग से नफ़रत थी बहुत,

उसे अम्नो-अमां की चाहत थी बहुत।

 

तुमने लुटाये  लफ़्ज़ों के गौहर,

तुम्हें कौन भूल सकता है साहिर,

तुमने बुलन्द किया

शहर-ए-सुख़न का नाम

ए साहिर ! तुझे सलाम…

ए साहिर ! तुझे सलाम ।

– डॉ. जसप्रीत कौर फ़लक,  मकान न. -11,

सैक्टर 1-A, गुरू गयान विहार, डुगरी,

लुधियाना, पंजाब, पिन – 141003

फोन नं –  9646863733

ई मेल- jaspreetkaurfalak@gmail.com

Related posts

कविता – डॉ. प्रतिभा सिंह

newsadmin

तुलसीदास जी के काव्य रस – रश्मि सिन्हा

newsadmin

पितृपक्ष में पूर्वजों की याद – सुनील गुप्ता

newsadmin

Leave a Comment