वो नव गीत कहाँ से लाऊं
जिसे मैं फिर से गा पाऊँ
दिल की तह खुल जाये,
प्रीत की रूत घुल जाये,
मीत मेरा जो लौटा लाये,
वो नव स्वर कहाँ से लाऊँ,
जिसे मैं फिर से गा पाऊँ,
सुर सरिता बह जाए
मन मगन बन जाए,
तन झुमे और लहराये,
वो सरगम कहाँ से लाऊँ,
जिसे मैं फिर से गा पाऊँ,
चातक सा प्रिय बोले,
देख सूरत हिय डोले,
स्वप्न अंखियो में भर लाये,
वो रागिनी कहाँ से लाऊँ,
जिसे मैं फिर से गा पाऊँ,
– रश्मि मृदुलिका, देहरादून , उत्तराखंड