जीवन का हो लक्ष्य हमेशा,
तुंग शिखर पर चढ़ते जाना।
कठिनाई गर पथ में बाधक,
बाधाओं से जा टकराना।
हिम्मत वाला हीं जाने है,
बाधाओं में राह बनाना।
उंची नीची खाई खंदक,
तूफानों से ना घबड़ाना।
जो चलता है मंजिल पाता,
लगा हुआ नित आना जाना।
मंजिल हरदम राह निहारें,
राह बना कर बढ़ते जाना।
बलशाली हो जोर लगाओ,
कठिनाई को दूर भगाना।
विजय पताका जा पहरा के
जीवन को नव राह दिखाना।
– अनिरुद्ध कुमार सिंह
धनबाद, झारखंड