जब तुम मेरी बाइक पर बैठकर,
अपना हाथ मेरे कंधे पर रख देती हो ,
तो दुनिया का सबसे अमीर व्यक्ति, बन जाता हूँ मैं l
जब तुम अपनी खूबसूरत मुस्कान से,
मुझे बड़ी चाव से देखती हो,
तो दुनिया का सबसे खुशनसीब व्यक्ति, बन जाता हूँ मैं l
जब तुम खिलखिला कर हँसती हुई,
मुझे बड़े प्यार से रिझाती हो,
तो दुनिया का सबसे खूबसूरत फूल, बन जाता हूँ मैं l
जब तुम अपने पायल की छम-छम से,
हर रोज सुबह जगाती हो,
तो दुनिया का सबसे मीठा गीत, बन जाता हूँ मैं l
जब तुम अपनी कंगन को खनकाकर,
हर रोज मुझे बुलाती हो,
तो दुनिया का सबसे बड़ा सौदागर, बन जाता हूँ मैं l
जब तुम अपनी भीगी अलकों की बूंद से,
हर रोज मुझे भिगोती हो,
तो सूखे पौधों सा, हरा-भरा हो जाता हूँ मैं l
जब कभी पल भर के लिए,
मुझसे रूठ जाती हो,
तो होठों पर ख़ामोशी, और आँखों में पानी भर लेता हूँ मैं l
– जितेंद्र कुमार सिंह, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश