बेटियों को पढ़ाओ
स्वावलंबी है बनाओ
मर्यादा क्या इनकी
पहचान अपनी है बताओ।
मिल रही है योजनाएं
क्या है इनकी भावनाये
ये पढ़ेगी तो रचेगी
ऐतिहासिक प्रेरणाएं।
सृष्टि की स्थिति बनाती
नहीं असुरक्षित है नारी
फैसले लेने की बारी
रहे न जीवन की उधारी।
क्षेत्र कोई नहीं बचा है
तुमसे जो हो न सका है
शान हो अभिमान भी तुम
करो स्वयं की तैयारी।
तुमसे ही घर बार चलता
देश का हर सार सजता
कम नहीं हो तुम किसी से
संस्कृति की हो जिम्मेदारी।
नाम रोशन कर रही हो
आगे भी करती रहोगी
कमजोरियां अपनी मिटा दो
उड़ने की कर लो तैयारी।
– मीना तिवारी, पुणे, महाराष्ट्र