Uncategorized

निमीलित मृण्मय नयन में – सविता सिंह

जरा सुन सखे इस निलय में,

एक दीप प्रेम का जलाओ,

बाती की भाँति जलूँ  प्रिये ,

बनकर शलभ तुम आ जाओ|

निमीलित मृण्मय नयन में,

हे मदन कुछ क्षण है संचित,

पार्श्व में तेरे यूं जाकर,

तन बदन होगा ना सुरभित|

तेरे वक्ष वलय में प्रियवर,

मेरा जो निलय आरक्षित,

एक दीप प्रेम का जला कर ,

रोम रोम अब करो प्रकाशित|

सविता सिंह मीरा, जमशेदपुर

Related posts

क्षत्रपति पटेल क्रांतिकारी विचार मंच की बैठक 17 नवंबर को

newsadmin

शहडोल में आयोजित होगा बघेली बौछार कार्यक्रम, पर्वतारोही शैलजा होगी सम्मानित

newsadmin

पशु चिकित्सा विज्ञान कैरियर : पथ, अवसर और आय – डॉo सत्यवान सौरभ

newsadmin

Leave a Comment