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हनुमानजी के संबंध में 10 अनसुनी रोचक बातें – सुनील गुप्ता

neerajtimes.com – 1. क्यों प्रमुख देव हैं हनुमान:- श्रीराम की आज्ञा से हनुमान जी एक कल्प तक इस धरती पर रहेंगे। एक कल्प में चारों युग के कई चक्र होते हैं। हनुमानजी 4 कारणों से सभी देवताओं में श्रेष्ठ हैं। पहला कारण यह कि सभी देवताओं के पास अपनी अपनी शक्तियां हैं। जैसे विष्णु के पास लक्ष्मी, महेश के पास पार्वती और ब्रह्मा के पास सरस्वती। हनुमान जी के पास खुद की शक्ति है। वे खुद की शक्ति से संचालित होते हैं। दूसरा कारण यह कि वे इतने शक्तिशाली होने के बावजूद  ईश्वर के प्रति पूर्ण समर्पित हैं, तीसरा यह कि वे अपने भक्तों की सहायता तुरंत ही करते हैं और चौथा यह कि वे आज भी सशरीर  हैं। इस ब्रह्मांड में ईश्वर के बाद यदि कोई एक शक्ति है तो वह है हनुमान जी। महावीर विक्रम बजरंगबली के समक्ष किसी भी प्रकार की मायावी शक्ति ठहर नहीं सकती।

  1. भक्तों को दिए दर्शन:- हर युग और हर समय में उन्होंने श्रीराम, श्रीकृष्‍ण या अपने भक्तों को दर्शन दिए हैं। भीम और अर्जुन ने द्वापर युग में हनुमान जी के दर्शन किए थे |

वहीं कलियुग में ( वर्तमान में ) स्वामी श्रीसुनीलानंद जी ने दो बार साक्षात् श्रीयोगविदहनुमान जी के मनोहारी दर्शन किए हैं | और इसी के बाद उन्होंने अपने निवास, प्रतापनगर में श्रीयोगविद हनुमान जी एवं वेद माता गायत्री का भव्य मंदिर स्थापित किया |

इससे पूर्व में श्री तुलसीदास जी, समर्थ रामदास, भक्त माधवदास, नीम करोली बाबा, राघवेन्द्र स्वामी आदि कई लोगों ने उनके साक्षात दर्शन किए हैं।

  1. गंधमादन पर्वत:- कहते हैं कि हनुमान जी नेपाल तिब्बत सीमा पर स्थित गंधमादन पर्वत पर रहते हैं और वे वहां पर रहते हैं जहां पर रामायण का पाठ होता है। जगन्नाथ पुरी की रक्षार्थ वे वहां पर भी विराजमान हैं।
  2. हनुमद रामायण:- सर्वप्रथम श्रीराम की कथा भगवान श्री शंकर ने माता पार्वती जी को सुनाई थी। उस कथा को एक कौवे ने भी सुन लिया। उसी कौवे का पुनर्जन्म कागभुशुण्डि के रूप में हुआ। काकभुशुण्डि ने भगवान गरूढ़ को कथा सुनाई थी परंतु वाल्मीकि रामायण से पहले हनुमान जी ने रामायण को एक शिला पर लिख दिया था। हनुमान जी ने एक शिला (चट्टान) पर अपने नाखूनों से लिखी थी। यह •’हनुमद रामायण’ के नाम से प्रसिद्ध है। परंतु बाद में उन्होंने वाल्मीकि की निराशा को देखते हुए इसे समुद्र में फेंक दिया था।
  3. हनुमान जी के खास नाम:- हनुमान के पिता सुमेरु पर्वत के राजा केसरी थे तथा उनकी माता का नाम अंजना था। इसीलिए उन्हें अंजनी पुत्र कहा जाता है। उन्हें वायु देवता का पुत्र भी माना जाता है, इसीलिए इनका नाम पवनपुत्र हुआ। उस काल में वायु को मारुत भी कहा जाता था। मारुत अर्थात वायु, इसलिए उन्हें मारुति नंदन भी कहा जाता है। उन्हें शंकरसुवन भी कहा जाता है। अर्थात शंकरजी के पुत्र। इन्द्र के वज्र से हनुमान जी की हनु (ठुड्डी) टूट गई थी, इसलिए तब से उनका नाम हनुमान हो गया। वज्र को धारण करने वाले और वज्र के समान कठोर अर्थात बलवान शरीर होने के कारण उन्हें वज्रांगबली कहा जाने लगा।
  4. हनुमानजी के गुरु:- मातंग ऋषि के शिष्य थे हनुमान जी। हनुमान जी ने कई लोगों से शिक्षा ली थी। सूर्य, नारद के अलावा एक मान्यता अनुसार हनुमान जी के गुरु मातंग ऋषि भी थे। मातंग ऋषि शबरी के गुरु भी थे। कहते हैं कि मतंग ऋषि के आश्रम में ही हनुमान जी का जन्म हआ था।
  5. हनुमान और राम जी का युद्ध:- किवदंती अनुसार भगवान राम का अपने भक्त हनुमान से युद्ध भी हुआ था। गुरु विश्वामित्र के निर्देशानुसार भगवान राम को राजा ययाति को मारना था। राजा ययाति ने हनुमान से शरण मांगी। हनुमान ने राजा ययाति को वचन दे दिया। हनुमान ने किसी तरह के अस्त्र-शस्त्र से लड़ने के बजाए भगवान राम का नाम जपना शुरू कर दिया। राम ने जितने भी बाण चलाए सब बेअसर रहे। विश्वामित्र हनुमान की श्रद्धाभक्ति देखकर हैरान रह गए और भगवान राम को इस धर्मसंकट से मुक्ति दिलाई।
  6. माता जगदम्बा के सेवक हनुमान:- रामभक्त हनुमानजी माता जगदम्बा के सेवक हैं। हनुमानजी माता के आगे-आगे चलते हैं और भैरव जी पीछे-पीछे। माता के देशभर में जितने भी मंदिर है वहां उनके आसपास हनुमान और भैरव के मंदिर जरूर होते हैं। हनुमान की खड़ी मुद्रा में और भैरव का कटा सिर होता है। कुछ लोग उनकी यह कहानी माता वैष्णो देवी से जोड़कर देखते हैं। भगवान श्रीराम और माता दुर्गा की कृपा चाहने के लिए हनुमान जी की भक्ति जरूरी होती है। हनुमान जी की शरण में जाने से सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं। इसके साथ ही जब हनुमान जी हमारे रक्षक हैं तो हमें किसी भी अन्य देवी, देवता, बाबा, साधु, पीर-फकीर, ज्योतिष आदि की बातों में भटकने की जरूरत नहीं। धर्म की स्थापना और रक्षा का कार्य 4 देवों के हाथों में है- दुर्गा, भैरव, हनुमान और कृष्ण।
  7. ब्रह्मास्त्र है हनुमान जी पर बेअसर:- हनुमान जी के पास कई वरदानी शक्तियां थीं लेकिन फिर भी वे बगैर वरदानी शक्तियों के भी शक्तिशाली थे। ब्रह्मदेव ने हनुमान जी को तीन वरदान दिए थे, जिनमें उन पर ब्रह्मास्त्र बेअसर होना भी शामिल था, जो अशोक वाटिका में काम आया।
  8. हनुमानजी को जब मिला मृत्युदंड:- ऐसी भी किंवदती है कि भगवान राम जब राज सिंहासन पर विराजमान थे तब नारद ने हनुमान जी से विश्वामित्र को छोड़कर सभी साधुओं से मिलने के लिए कहा। हनुमान जी ने ऐसा ही किया। तब नारद मुनि विश्वामित्र के पास गए और उन्होंने उन्हें भड़काया। इसके बाद विश्वामित्र गुस्सा हो गए और उन्होंने इसे अपना अपमान समझा। भड़कते हुए वे श्रीराम के पास गए और उन्होंने श्रीराम से हनुमान को मृत्युदंड देने की सजा का कहा। श्रीराम अपने गुरु विश्वामित्र की बात कभी टालते नहीं थे। उन्होंने बहुत ही दुखी होकर हनुमान पर बाण चलाए, लेकिन हनुमान जी राम का नाम जपते रहे और उनको कुछ नहीं हुआ। राम को अपने गुरु की आज्ञा का पालन करना ही था इसलिए भगवान श्रीराम ने हनुमान पर ब्रह्मास्त्र चलाया। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से राम नाम का जप कर रहे हनुमान का ब्रह्मास्त्र भी कुछ नहीं बिगाड़ पाया। यह सब देखकर नारद मुनि विश्वामित्र के पास गए और अपनी भूल स्वीकार की।

– सुनीलानंद  (महंत) श्रीयोगविद हनुमान मंदिर , प्रतापनगर, सांगानेर, जयपुर

– सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान

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