आते समय अकेला रोया ,जाने पर दुनिया रोएगी ।
गीत ग़ज़ल मेरे लेखन की ,याद दिलाने आ जाएंगे ।।
दोहे कबीरा से सीखे हैं ,तुलसी से सीखी चौपाई ।
पिछली पीढ़ी के कंधों पर, चढ़कर सीखी है कविताई ।
मेरी कलम निराला दिनकर, जैसे शब्द छंद बोएगी ।
तेवर ये दुष्यंत सरीखे ,पाठक मन को भा जाएंगे ।।
गीत ग़ज़ल मेरे लेखन की ,याद दिलाने आ जाएंगे ।।1
गीत प्रेम के लिख जाऊंगा ,जिससे सबका मन बहलेगा ।
ओज कवित्त लिखूंगा ऐसे,दुश्मन का सीना दहलेगा ।
बिरहा गीत लिखूंगा ऐसे , विरहन पढ़ आपा खोएगी ।
मेरे अरमानों के आंसू ,पाठक को नहला जाएंगे ।।
गीत ग़ज़ल मेरे लेखन की ,याद दिलाने आ जाएंगे ।।2
कितनी अनल भरी छंदों में ,शब्द शब्द दिखलाई देगी ।
भूख गरीबी की लेखन में , जग को चीख सुनाई देगी ।
कविता मेरे साथ जगी है ,मेरे साथ नहीं सोएगी ।
दर्द दाह के गीत जगत को ,मेरी पीर सुना जाएंगे ।।3
देश राग की कविता लिखता ,सरहद मेरा अभ्यारण है ।
सेना का चारण मानो या ,सैनिक मेरा उच्चारण है ।
मेरी छंद लेखनी भू पर ,मेरे पाप कर्म धोएगी।
‘हलधर’ कविता के द्वारा ही,मोक्ष अमरता पा जाएंगे ।।4
– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून