मनोरंजन

गीत – जसवीर सिंह हलधर

आते समय अकेला रोया ,जाने पर दुनिया रोएगी ।

गीत ग़ज़ल मेरे लेखन की ,याद दिलाने आ जाएंगे ।।

 

दोहे कबीरा से सीखे हैं ,तुलसी से सीखी चौपाई ।

पिछली पीढ़ी के कंधों पर, चढ़कर सीखी है कविताई ।

मेरी कलम निराला दिनकर, जैसे शब्द छंद बोएगी ।

तेवर ये दुष्यंत सरीखे ,पाठक मन को भा जाएंगे ।।

गीत ग़ज़ल मेरे लेखन की ,याद दिलाने आ जाएंगे ।।1

 

गीत प्रेम के लिख जाऊंगा ,जिससे सबका मन बहलेगा ।

ओज कवित्त लिखूंगा ऐसे,दुश्मन का सीना दहलेगा ।

बिरहा गीत लिखूंगा ऐसे , विरहन पढ़ आपा खोएगी ।

मेरे अरमानों के आंसू ,पाठक को नहला जाएंगे ।।

गीत ग़ज़ल मेरे लेखन की ,याद दिलाने आ जाएंगे ।।2

 

कितनी अनल भरी छंदों में ,शब्द शब्द दिखलाई देगी ।

भूख गरीबी की लेखन में , जग को चीख सुनाई देगी ।

कविता मेरे साथ जगी है ,मेरे साथ नहीं सोएगी ।

दर्द दाह के गीत जगत को ,मेरी पीर सुना जाएंगे ।।3

 

देश राग की कविता लिखता ,सरहद मेरा अभ्यारण है ।

सेना का चारण मानो या ,सैनिक मेरा उच्चारण है  ।

मेरी छंद लेखनी भू पर ,मेरे पाप कर्म धोएगी।

‘हलधर’ कविता के द्वारा ही,मोक्ष अमरता पा जाएंगे ।।4

– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून

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