मनोरंजन

ग़ज़ल – रीता गुलाटी

आज करती दुआ, खैर संसार मे.

माँगती मैं दुआ जीतने के लिये।

 

यार उल्फत भी देती मजा जिन्दगी.

आ चुरा वक्त को नाचने के लिये.

 

आज जीना बहुत यार मँहगा हुआ.

लोग नुकसान दे फायदे के लिये।

 

चुप का तमगा लिये आज वो है खडा.

लोग तैयार है बस गिले के लिये।

 

यार मेरा बडा खूबसूरत लगे.

आशिकी मिल गयी देखने के लिये।

 

प्यार तेरा हमे अब सताने लगा.

एक चेहरा बहुत चाहने के लिये।

–  रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़

Related posts

हे रतिनाह बसन्त – अनुराधा पाण्डेय

newsadmin

कुछ घाव पुराने लगते हैं – किरण मिश्रा

newsadmin

बचपन – मधु शुक्ला

newsadmin

Leave a Comment