जान से भी प्यारी हिन्दी,जग से है न्यारी हिन्दी,
गंगा सी पवित्र है ये, बहते ही जाइए।
मीरा करताल में है,खुसरो के तान में है,
छंद गीत गज़लो से, इसको सजाइए।
सरल सुबोध लगे, सुन्दर ये शोध लगे,
हृदय पटल पर ,लिखते ही जाइए।
शब्दों के किवाड़ खोले, मीठे मीठे रस घोले,
हिन्दी है हमारी भाषा, खूब इतराइये।
– कमल धमीजा, फरीदाबाद , हरियाणा