प्राचीन सभ्यता की रथ है हिंदी से प्रीत निभानी है ।
पुरखों का दिखलाया पथ है ये भाषा बहुत सुहानी है ।।
ये सुगम ज्ञान की सरिता है वेदों की वाणी से निकली ।
आचार विभूषित संहिता है ऋषियों की ढाणी से निकली ।
है देवनागरी लिपि इसकी शब्दों में भरी रवानी है ।।
पुरखों का दिखलाया पथ है ये भाषा बहुत सुहानी है ।।1
अक्षर अक्षर मोती जैसे शब्दों की सिंधु निबंधा है ।
रस अलंकार से शोभित है छंदों की नेक सुगंधा है ।
द्वापर में बोली जाती थी वेदों में लिखी कहानी है ।।
पुरखों का दिखलाया पथ है ये भाषा बहुत सुहानी है ।।2
संबोधन इसके सुंदर हैं पाठन इसका सम्मोहक है ।
शब्दों में भाव बदलते हैं वाचन इसका मनमोहक है ।
गंगा सी पावन धारा है लहरों में ओज जवानी है ।।
पुरखों का दिखलाया पथ है ये भाषा बहुत सुहानी है ।।3
अब शक्ति हमारी भाषा की दुनिया में जानी जाती है ।
आकाश सरीखा शब्दकोष जग में पहचानी जाती है ।
हिंदी से मान हमारा है हिंदी ही भाष्य भवानी है ।।
पुरखों का दिखलाया पथ है ये भाषा बहुत सुहानी है ।।4
– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून