मनोरंजन

हिंदी गजल – मधु शुक्ला

जग की महिमा चाल न पूछो,

कितना प्यारा माल न पूछो।

 

मीठी  बातें, घातक  आखें,

मोटी कितनी खाल न पूछो।

 

आँत न दाँत मगर लख नारी,

टपके कितनी राल न पूछो।

 

मित्र, पड़ोसी, बोली, रिश्ते,

बदला कितना काल न पूछो।

 

दिल दिमाग की खींचातानी,

में उलझे का हाल न पूछो।

 

किस स्याही से ईश लिखा है,

माँ बहनों का भाल न पूछो।

 

जिल्द चढ़ा हर आनन हो जब,

क्यों खार लगे ससुराल न पूछो।

— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश

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