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शिक्षक तो अनमोल है – डॉ सत्यवान ‘सौरभ’

दूर तिमिर को जो करे, बांटे सच्चा ज्ञान।

मिट्टी को जीवित करे, गुरुवर वो भगवान।।

 

जब रिश्ते हैं टूटते, होते विफल विधान।

गुरुवर तब सम्बल बने, होते बड़े महान।।

 

नानक, गौतम, द्रोण सँग, कौटिल्या, संदीप।

अपने- अपने दौर के, मानवता के दीप।।

 

चाहत को पंख दे यही, स्वप्न करे साकार।

शिक्षक अपने ज्ञान से, जीवन देत निखार।।

 

शिक्षक तो अनमोल है, इसको कम मत तोल।

सच्ची इसकी साधना, कड़वे इसके बोल।।

 

गागर में सागर भरें, बिखराये मुस्कान।

सौरभ जिनको गुरु मिले, ईश्वर का वरदान।।

 

शिक्षा गुरुवर बांटते, जैसे तरुवर छाँव।

तभी कहे हर धाम से, पावन इनके पाँव।।

 

अंधियारे, अज्ञान को, करे ज्ञान से दूर।

गुरुवर जलते दीप से, शिक्षा इनका नूर।।

– डॉ सत्यवान ‘सौरभ’, उब्बा भवन, आर्यनगर, हिसार (हरियाणा)-127045

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