सावन के त्यौहार, अधिक भाते जन मन को।
देते हैं उत्साह , नवल ये जन जीवन को।।
हरियाली के साथ, ग्रीष्म से राहत मिलती।
चारों तरफ बहार, देख मन बगिया खिलती।।
हलधर लखकर खेत, मधुर सपनों में खोता।
पर्वों का आभास, सुखी उर को अति होता।।
श्रावण जैसा माह, नहीं कोई मनभावन।
सर्वाधिक त्यौहार, तभी लाता है सावन।।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश