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अब वक्फ बोर्ड को लेकर सरकार निशाने पर – राकेश अचल

neerajtimes.com – हमारे देश में मुस्लिमों की वक्फ सम्पतियों का रखरखाव करने वाला वक्फ बोर्ड है । सरकार वक्फ बोर्ड क़ानून में संशोधन कर बोर्ड की शक्तियां सीमित करना चाहती है। मुमकिन है  कि आप जब ये आलेख पढ़ रहे हों तब वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन से जुड़ा बिल सरकार संसद में पेश कर रही हो ,हालांकि इसको लेकर सरकार की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है लेकिन बिल की खबर आते ही हंगामा शुरू हो गया है। एआइएमआइएम  से लेकर कई मुस्लिम संगठनों और विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधा है। सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि यह संविधान में दिए गए धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार पर प्रहार है।

आपको पहले ये जानना होगा कि  आखिर वक्फ बोर्ड है क्या ? देश भर में वक्फ बोर्ड के कामकाज से सम्बन्धित मुद्दों और देश में वक्फ के समुचित प्रशासन से सम्बन्धित मुद्दों के बारे में परामर्श देने के लिए केन्द्रीय वक्फ परिषद की स्थापना एक स्थायी इकाई के रूप में की गई। इस बोर्ड की स्थापना भाजपा के जन्म से सोलह साल पहले तत्कालीन केन्द्र सरकार ने दिसम्बर, 1964 में वक्फ अधिनियम 1995 के अन्तर्गत की  थी । वक्फ के प्रभारी केन्द्रीय मन्त्री तथा केन्द्रीय वक्फ परिषद के 20 अन्य सदस्य होते हैं।

वक्फ अरबी भाषा के ‘ वकुफा ‘ शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है ठहरना। इसी से बना है वक्फ। वक्फ एक ऐसी संपत्ति होती है, जो जन-कल्याण को समर्पित हो। इस्लाम के मुताबिक वक्फ दान का ही एक तरीका है। इस्लाम की तरह सनातनियों में भी दान की लम्बी परम्परा है । हमारे यहां जितने भी धार्मिक स्थल हैं उनके रखरखाव के लिए तत्कालीन शासकों,राजा -महाराजाओं ,नवाबों और निजी व्यक्तियों द्वारा सम्पत्ति दान की जाती रही है । उसके रखरखाव के लिए भी वक्फ बोर्ड जैसी ही अनेक व्यवस्थाएं हैं । अब सरकार वक्फ संपत्तियों और वक्फ बोर्ड को खत्म करना चाहती है। हमारी सूचना है कि  प्रस्तावित विधेयक  में वक्फ बोर्ड द्वारा संपत्तियों पर किए गए सभी दावों को अनिवार्य सत्यापन से गुजरना होगा। वक्फ बोर्ड के अधिकारों, उसकी ताकतों और उसकी कार्यप्रणाली में बड़ा परिवर्तन किया जाएगा। महिला सदस्य राज्यों में वक्फ बोर्ड का हिस्सा होंगी।  प्रस्तावित बिल में मौजूदा कानून से जुड़े कई क्लॉज हटाए जा सकते हैं। संभावना है कि वक्फ बोर्ड अधिनियम में 40 से अधिक संशोधन किए जा सकते हैं।

एक सूचना के मुताबिक़ वक्फ बोर्ड जमीन के मामले  में रेलवे और कैथोलिक चर्च के बाद तीसरे नंबर पर है।आंकड़ों के मुताबिक वक्फ बोर्ड के पास 8 लाख एकड़ से ज्यादा जमीन है। साल 2009 में यह जमीन 4 लाख एकड़ हुआ करती थी, जो कुछ सालों में बढ़कर दोगुनी हो गई है। इन जमीनों में ज्यादातर मस्जिद, मदरसा और कब्रगाह हैं। पिछले साल अल्पसंख्यक मंत्रालय ने लोकसभा में बताया था कि दिसंबर 2022 तक वक्फ बोर्ड के पास कुल 8,65,644 अचल संपत्तियां थीं।  जाहिर है कि ये संपत्तियां मुस्लिमों द्वारा वक्फ की गयीं है,यानि ये सरकारी नहीं हैं ।

हकीकत ये है कि वक्फ की सम्पत्तियों का दुरूपयोग ठीक उसी तरह हो रहा है जैसे हिन्दू मंदिरों की सम्पत्तियों या ईसाई मिशनरियों की सम्पत्तियों का हो रहा है। इन सभी का नियमन जरूरी है क्योंकि अधिकांश वक्फ की सम्पत्तियों को असरदार लोगों ने या तो खुर्द-बुर्द कर दिया है या फिर उनके ऊपर गलत तरीके से कब्जा कर लिया है।आरोप है कि अकेले औबेसी के पास वक्फ की 3000 करोड़  की वक्फ सम्पत्तियाँ हैं। देश के अनेक राज्यों में वक्फ की सम्पत्तियों को लेकर अदालतों में मुकदमें चल रहे हैं। मुझे पता है कि  क़ानून के होते हुए  भी न वक्फ की सम्पत्तियाँ महफूज है और न दूसरे धर्मों की सम्पत्तियां। (विनायक फीचर्स)

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