मनोरंजन

बस यूँ ही – सविता सिंह

ऐसे जुमले ज़बान से निकले,

तीर जैसे कमान से निकले।

 

ज़िक्र जिसका हो धड़कनों में मिरी,

वो भला कैसे जान से निकले।

 

दम नहीं है तुम्हारी बातों में,

तुम भी अपने बयान से निकले।

 

तेरे कूचे में रूह भटकेगी

*मीरा* जब भी जहान से निकले।

– सविता सिंह मीरा, जमशेदपुर

Related posts

हाथ थामो मगर – भूपेन्द्र राघव

newsadmin

ग़ज़ल हिंदी – जसवीर सिंह हलधर

newsadmin

ग़ज़ल – झरना माथुर

newsadmin

Leave a Comment