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जय श्रीविश्वनाथ-शारदे – सुनील गुप्ता

( 1 ) जय जय जय

श्रीविश्वनाथ-शारदे हरे,

आपका करते हैं हम हृदय से अभिनंदन  !

आप बनें सभी के प्रिय आत्मीय स्वजन…,

हम करते आपकी भूरी-भूरी प्रशंसा वंदन !!

( 2 ) नए नए नए

रूप धरे चले प्रभो,

और बरसाते रहे अपनी कृपा-दुआएं  !

बह रही चहुँओर से प्रेम आनंद बयारें…,

स्वर्णिम विवाह वर्षगांठ उमंग संग मनाएं !!

( 3 ) रमें रमें रमें

शारदे विश्वनाथ भोले,

चलें मस्ती का चोला सदा ओढ़ते !

रहें प्रसन्न और वचन मीठे बोलें…..,

चलें शुभाशीर्वाद, आशीष सभी पे लूटाएं !!

( 4 ) जपें जपें जपें

सदैव महामृत्युंजय मंत्र,

और चलें प्रसादी श्रीबालाजी को चढ़ाए  !

बनें परिवार के अग्रज रक्षक विघ्नहर्ता..,

चले सभी पे प्रेम आनंद की पुष्पवर्षा बरसाए !!

( 5 ) करें करें करें

श्रीदेवाधिदेव की आरती,

रूद्रपाठ दुग्ध जलाभिषेक हर्षाए  !

बनें आप ही हो नाथ प्रेरणा संबल-शक्ति..,

चलें आपसे पाते जीवन सौगातें हम हर्षाए !!

( 6 ) आए आए आए

बन केसरीनंदनशंकर स्वयं,

बसें रोम-रोम हृदय में आप ही हो प्रिय  !

आए संगीता मनीष सुंदर मनोभाव संजोए….,

करने यहाँ पे ये अप्रतिम आयोजन दिव्य भव्य !!

( 7 ) हरे हरे हरे

हर-हर गंगे स्वामी,

शारदे विश्वनाथ चले गंगा नहाए  !

चलें श्रीविश्वपति की आरती उतारें….,

अब जीवन उत्कर्ष की ओर चले कदम बढ़ाए !!

( 8 ) मिले प्रियवर मिलें

शौर्य, सान्वी, शनाया,आरणा,

लगी धन्य हुईं सारी जीवन धारणाएं  !

सभी शुभानन खिले-खिले गीत गुनगुनाएं..,

बसाए हृदय कमल में लिए शुभकामनाएं !!

( 9 ) आईं लौट आईं

पल क्षण सभी मधुर स्मृतियाँ,

धन्य हुई चली जीवन बगिया सरसाए !

हैं स्वर्णिम रथपे सवार श्रीलक्ष्मी विष्णुपतिरूप.,

चलें जीवन उत्सव पर्व उमंग जोश संग मनाएं !!

– सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान

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