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श्री गीता है एक महाकाव्य – सुनील गुप्ता

( 1 )” श्री “,श्री गीता है एक महाकाव्य

आओ, इसका हम नित पारायण करें !

सदैव उतारते चलें इसे अपने जीवन में…,

और इसका पालन-आचरण करते चलें !!

 

( 2 )” गीता “,गीता है विशुद्ध भगवान वाणी

आओ, इसका हम नित्य श्रवण करें  !

और करें मन वचन कर्मों से अनुपालना ..,

सदैव इसका यहाँ पे चिंतन मनन करें  !!

 

( 3 )”  है “,है गीता सभी जीवन प्रश्नों का हल

और करती चले समस्याओं का समाधान !

आओ, इसे पढ़ें, पढ़ाएं, जीवन में उतारें…,

और चलें पाएं श्रीहरि प्रसाद एवं वरदान !!

 

( 4 )’ एक ‘,एक सहारा श्रीमद्भगवद्गीता हमारा

जो चले सदा निभाए जीवन में साथ  !

ये चले खोलते जीवन के सभी बंद द्वारों को,

और श्रीहरि का बनाए रखे हमपे वरदहाथ!!

 

( 5 )” महा “,महाभाग है ये हम सभी का यहाँ पे

कि, मिला श्रीगीताजी जैसा हमें महानग्रंथ  !

आओ नित्य करें इसका अनुकरण पालन .,

और चलें बनाए जीवन का प्रसन्न एवं शांत !!

 

( 6 )’ काव्य ‘काव्य लिखा है ये संस्कृत भाषा में

और हैं इसमें कुल ‘अट्ठारह अध्याय’   !

आओ, पढ़ें नित्य तीन श्लोक यहाँ पे…..,

और सात सौ श्लोकों को समझ,बदलें भाग्य !!

– सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान

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