मिले प्यार तेरा हमे भी शफा दो,
जिये यार कैसे तुम्ही कुछ बता दो।
लिखी जो गजल है सभी को सुना दो,
छुपा प्यार उसमे सभी को जता दो।
चलो गीत अपना हमें तुम सुना दो,
पुरानी सी धुन कोई फिर गुनगुना दो।
खता आज मेरी करो माफ अब तुम,
मुहब्बत को मेरी सभी को सुना दो।
भली या बुरी हूँ तुम्हे चाहती हूँ,
लुटा प्यार मुझ पर,मुझे अब हँसा दो।
शमा बुझ रही अब हवा जो चली थी,
बुझे इन चरागों को अब तो जला दो।
– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चंडीगढ़