मनोरंजन

बोल-चाल भी बंद – डॉ. सत्यवान सौरभ

करें मरम्मत कब तलक, आखिर यूं हर बार।

निकल रही है रोज ही, घर में नई दरार।।

 

आई कहां से सोचिए, ये उल्टी तहजीब।

भाई से भाई भिड़े, जो थे कभी करीब।।

 

रिश्ते सारे मर गए, जिंदा हैं बस लोग।

फैला हर परिवार में, सौरभ कैसा रोग।।

 

फर्जी रिश्तों ने रचे, जब भी फर्जी छंद।

सगे बंधु से हो गई, बोलचाल भी बंद।।

 

सब्र रखा, रखता सब्र, सब्र रखूं हर बार।

लेकिन उनका हो गया, जगजाहिर व्यवहार।।

 

कर्जा लेकर घी पिए, सौरभ वह हर बार।

जिसकी नीयत हो डिगी, होता नहीं सुधार।।

 

घर में ही दुश्मन मिले, खुल जाए सब पोल।

अपने हिस्से का जरा, सौरभ सच तू बोल।।

 

सौरभ रिश्तों का सही, अंत यही उपचार।

हटे अगर वो दो कदम, तुम हट लो फिर चार।।

– डॉo सत्यवान सौरभ, 333, परी वाटिका, कौशल्या भवन, बड़वा (सिवानी) भिवानी, हरियाणा – 127045,

Related posts

मन अहिल्या हो गया तो – पल्लवी त्रिपाठी

newsadmin

दिल में औरों के रहता जो, वो नाम अमर कर जाते हैं – अशोक गोयल

newsadmin

गीत (सरस्वती वंदना) – जसवीर सिंह हलधर

newsadmin

Leave a Comment