मनोरंजन

दोहे – जसवीर सिंह हलधर

1-मरे पुराने देवता ,पैदा हुए नवीन ।

साँईं के दरबार में ,गिनती नोट मशीन ।।

2-

नेता अधिकारी सभी ,करते शहर निवास ।

चर्चा करते गांव का , कैसे होय विकास ।।

3-

नैतिकता गायब हुई , योगी हुए मलीन ।

बाबाओं के कक्ष में ,लाखों के कालीन ।।

4-

गर्म हवा को डांटती ,जून माह में दूब ।

तेरे मारे ना मरूँ ,जड़ गहरी हैं खूब ।।

5-

कविता कवि की भावना ,लोचन कोरा ज्ञान ।

तर्क तराजू में कभी , तुला न कवि का मान ।।

– जसवीर सिंह हलधर, देहरादून

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