किया है प्यार भी तुमसे बड़ा छुपाया भी,
अजीब ढंग से साजन हमें सताया भी।
खुदा की ये है दुआ प्यार तुम पे आया भी,
करीब आ चुके हम प्यार को लुटाया भी।
हुई अगर है खता यार तू बता मुझको,
मेरे सनम तू ही कह दे कहाँ फँसाया भी।
उलझ रही थी मैं दुनिया की मोह माया में,
नही मिला कोई जिसने हमे हँसाया भी।
बयां करे है वो दिल की उदास सा होकर,
अजीब हाल है उस पर गम का साया भी।
कहाँ मिला है सुकूँ आज जग मे जीने को,
कहे शजर मिले नेकी नही जताया भी।
– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़