मनोरंजन

गजल – मधु शुक्ला

लोग कहते है पहेली जिंदगी,

रह न पाती है अकेली जिंदगी।

 

मीत अपनापन तलाशें सब यहाँ,

प्रेम में पर घात झेली जिंदगी।

 

जो सदा तकरार से बचता रहा,

खेल उसके साथ खेली जिंदगी।

 

ज्ञान का दीपक जलाया जब मनुज,

बन गई इंसान चेली जिंदगी।

 

मोह, ममता के झमेले बेवजह,

चैन खोकर हाथ ले ली जिंदगी।

— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश

Related posts

“कविता कथा कारवाँ ने आयोजित किया वार्षिक साहित्यिक मेला

newsadmin

गीत – जसवीर सिंह हलधर

newsadmin

गजल – ऋतु ऋतंभरा

newsadmin

Leave a Comment