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पंडित जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि पर अर्पित की श्रद्धांजलि

neerajtimes.com गोरखपुर भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि पर शाह मारूफ में विश्व शांति मिशन के तत्वावधान में गोष्ठी व श्रद्धांजलि सभा का आयोजन कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई । इस अवसर पर पीस पार्टी के जिला अध्यक्ष अत्ताउल्लाह शाही ने नेहरू जी के संबंध में विचार व्यक्त करते हुए उनके द्वारा देश को किए गए योगदान पर प्रकाश डाला गया व स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान पर विस्तृत चर्चा की गई। विश्व शांति मिशन के अध्यक्ष एवं भारत बचाओ संविधान बचाओ आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक अरुण कुमार श्रीवास्तव ने भी पूर्व प्रधानमंत्री के पुण्यतिथि पर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए, उन्होंने कहा कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के योगदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता, इस देश में सुई से लेकर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी हर चीज बाहर से आती थी, वह नेहरू जी ही थे जिन्होंने भारत को आत्मनिर्भर बनाने में भारी योगदान किया। सिंचाई के क्षेत्र में भाखड़ा नांगल बांध का निर्माण कराया एवं इसरो एवं आईआईयम, आईआईटी जैसे संस्थानों का निर्माण कराया। आज भारत में जो भी उद्योग धंधों का विकास हो रहा है उसकी जड़ में कहीं न कहीं पंडित जवाहरलाल नेहरू का योगदान है। पूरे विश्व में जो धाक पंडित जवाहरलाल नेहरू की थी वह शायद ही किसी की रही हो, अपने जीवन का अधिकांश हिस्सा उन्होंने जेल में बिताया और जेल से ही अपनी एकमात्र पुत्री को पत्रों के सहारे उन्होंने शिक्षित किया जिसे बाद में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने दुर्गा का अवतार कहा था, डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी नेहरू जी की ही देन थे, उनके मंत्रिमंडल में रहते हुए पंडित जवाहरलाल नेहरू ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी को कश्मीर मामलों का प्रभारी बनाया था जो बाद में जनसंघ के प्रवर्तक बने और जिनकी नीतियों पर आज भारतीय जनता पार्टी चल रही है। नेहरू जी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की कसम का मान रखते हुए कि हम आजाद भारत में लाल किले पर तिरंगा फहराएंगे और अपने सिपह सालारों ढिल्लों सहगल और शाहनवाज खान जिसके ऊपर लाल किले में मुकदमा चला था को 21 तोपों की सलामी देंगे पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले पर ही 15 अगस्त 1947 को तिरंगा फहराया, और ढिल्लन, ससगल व शाहनवाज खान की याद में तिरंगे को 21 तोपों की सलामी दी गई। स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को भुलाया  नहीं जा सकता, विश्व में उन्हें शांति दूत के रूप में जाना जाता था, नेहरू के बताए रास्ते पर चलकर ही भारत का विकास किया जा सकता है। इस अवसर पर फजील अब्वासी, एहसन कमाल, मोहम्मद आसिफ, नफीस अहमद , नगीना लाल प्रजापति, मानवेंद्र कुमार , सुमित कुमार गुप्ता, मोहम्मद राशिद, अत्ताउल्लाह शाही, दयानंद भारती,हाजी इशरत अली, मोहम्मद फहद आदि तमाम लोग उपस्थित थे। (अरुण कुमार श्रीवास्तव, अध्यक्ष, विश्व शांति मिशन)

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