मनोरंजन

गजल – मधु शुक्ला

जरूरत आज है हमको मधुर रिश्ते बनाने की,

अहं को त्याग कर सारे गिले शिकवे मिटाने की।

 

नहीं है देवता कोई सभी से भूल होती है,

कवायद छोड़ दें हम बात को ज्यादा बढ़ाने की।

 

करें बर्बाद क्यों हम वक्त लघु अति जिंदगानी है,

चलो आदत बनायें साथ सब के मुस्कराने की।

 

नहीं जीवन किसी को भी मिला कंटक रहित जग में,

करें कोशिश उमंगें दें कुसुम ऐसे खिलाने की।

 

किए सद्कर्म का फल ‘मधु’ मनुज जीवन न भूलो तुम,

बढ़ाओ प्रेम अपनापन अगर है चाह पाने की।

—  मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश

Related posts

गजल – रीता गुलाटी

newsadmin

छंद आदमी – जसवीर सिंह हलधर

newsadmin

माता – कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

newsadmin

Leave a Comment