यारों कुछ कट गई है और आगे भी कट जायेगी,
ये जिंदगी की बाजी हार के भी जीत ली जायेगी।
अभी तो बीपी शुगर की गोली ही खा रहे है हम,
क्या हुआ कल फिर हार्ट की सर्जरी भी हो जायेगी।
माना जवानी और बुढ़ापे के बीच का पहर है,
ये तो सफर है बंधु एक दिन सांझ भी ढल जायेगी।
नमक, चीनी, तेल और मसाले खाने कम कर दिये,
वो दिन दूर नही जब खिचड़ी की बारी आ जायेगी।
जवानी के प्यार की अब बुढ़ापे में याद आयेगी,
क्या सही था क्या गलत अब गणना की जायेगी।
वो पुरानी बातें कभी हसीं तो कभी रूलायेगी,
बालों की चांदनी एक नया एहसास दिला जायेगी।
दूर हो गये रिश्ते-नाते, तन्हाई मुस्कुरायेगी,
फेसबुक , व्हाट्सऐप से दुनियां अपनी हो जायेगी।
ऐ दोस्त क्यों उलझा है वक्त के तानों बानो में,
जी ले आज में एक दिन जिंदगी धुऐ में उड़ जायेगी।
– झरना माथुर, देहरादून , उत्तराखंड