मनोरंजन

मेरी कलम से – ज्योति श्रीवास्तव

ख़्वाब में इस  क़दर  पास थे,

प्यार  के   दो  घड़ी  मिल गई।

 

इक दफ़ा  प्यार से देखो मुझको,

हम तो  ख़ुशबू  है  बिखर जाएंगे।

 

लिखूं शायरी  बस ‌ तेरी बात  होगी,

ग़ज़ल में ही हमदम मुलाक़ात होगी।

 

समझो न कभी मन को ढूंढे जो सदा तुझको,

अब पास  ज़रा  आओ  धड़कन को सुनाने हैं।

– ज्योति अरुण श्रीवास्तव, नोएडा, उत्तर प्रदेश

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