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दुर्घटना से लाल होती सड़कें – पंकज शर्मा तरुण

neerajtimes.com – जब हम स्वतंत्र हुए तो अंग्रेजों ने इस देश को लूटा तो खूब जम के था,मगर विकास के नाम पर कुछ भी नहीं किया सिवाय एक रेल मार्ग बिछाने के उसके पीछे का उद्देश्य यह था कि सेना को शस्त्र और रसद आसानी से निर्बाध गति से पहुंचाया जाए। इसी प्रकार डामर की पक्की सड़कें भी उनके वाहनों के लिए ही चलने के उद्देश्य से नाम मात्र की बनाई गई थी और उन पर जो ट्रैफिक नियम बनाए गए। वे भी उनके हित में ही बनाए गए आम नागरिक को इससे कोई भी लाभ हो ऐसा कोई नियम नहीं बनाया गया इसीलिए दुर्घटना की स्थिति में ड्राइवर के पास यदि लायसेंस है तो उसे कोई सजा नहीं मिल सकती थी। स्वतंत्रता के बाद भी आज तक यही नियम लागू हैं। दुर्घटना का नाम देकर कोई भी किसी को सड़क पर मार कर चला जाता है। उसे मामूली सा दंड या जुर्माना लगाकर छोड़ दिया जाता है। सड़कों के दायरे बढ़ गए हैं। गांव गांव में सड़कों का निर्माण अबाध गति से जारी है और वाहनों की संख्या इतनी अधिक हो गई है कि जिसकी कोई सीमा नहीं। दुपहिया वाहनों की तो कोई गणना ही नहीं है। कारों को रखने के लिए पार्किंग की व्यवस्था नहीं हो पा रही है न गांव में न शहरों में ही।

सड़कें भी कालांतर में डामर की बनाई जाती थी मगर जब से सीमेंट कांक्रीट की सड़कें अस्तित्व में आई हैं दुर्घटनाओं का ग्राफ भी बढ़ गया है।

दो पहिया चालकों के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य है मगर इस नियम की अनदेखी की जाती है जिसके नतीजे भयावह होते जा रहे हैं। सरकार ने तो यहां तक नियम बना दिए हैं कि वाहन चालक पेट्रोल पंप पर पेट्रोल भरवाने आता है तो बिना हेलमेट के पेट्रोल नहीं भरें। उसके लिए भी लोग तैयार नहीं कुछ दिन पेट्रोल पंप वाले भी नियम का पालन करते हैं और फिर ग्राहकी कम हो जाने की स्थिति में वे भी ध्यान देना बंद कर देते हैं। कई दुर्घटनाओं में तो यह भी देखने में आया है कि हेलमेट तो था मगर बाइक पर टंगा था लगाया नहीं इसलिए मृत्यु हो गई। कहते हैं कि दुर्घटनाओं में इतने अधिक संख्या में नागरिकों की मृत्यु होती है जितने किसी भी युद्ध में नहीं मारे जाते। सीमेंट कांक्रीट की सड़कों पर बिना हेलमेट के गिरने के बाद तो मृत्यु निश्चित है। सरकार ने इतने कड़े कानून बना दिए हैं मगर राजनैतिक इच्छा शक्ति कमजोर होने से उन्हें सख्ती से लागू करने में पुलिस प्रशासन अपने आपको कमजोर महसूस करता है। नगर के छुटभैये नेता जो किसी न किसी विधायक सांसद से जुड़े रहते ही हैं, उनसे अपने दबदबे का अवैधानिक उपयोग करवा कर नियमों को पलीता लगवाते देखे गए हैं।

इन सड़क दुर्घटनाओं में सर्वाधिक संख्या युवाओं की होती है जो अपने युवा गर्म लहू के चलते बाइक को खिलौनों की भांति उपयोग करते हैं करतब दिखाते है,गति पर नियंत्रण नहीं रखते नियमों की धज्जियां उड़ाते रहते हैं। विभिन्न प्रकार के मादक पदार्थों का सेवन कर मद में चूर हो कर वाहन चलाते हैं और सड़कों को लाल कर जान दे देते हैं। यह हम सभी के सोचने का विषय है कि आने वाली होनहार पीढ़ी को असमय काल के गाल में जाने से कैसे बचाया जा सके? हमें इस विषय में गंभीरता से सोचना होगा।

नाबालिग बच्चों को वाहन चलाने से रोकना होगा। लाड़ प्यार में हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि संतान की भलाई किसमें है? (विनायक फीचर्स)

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