( 1 ) माँ
चली आयीं
मेरे घर द्वारे
करके सोलह श्रृंगार बनके अति सुंदर !
लिए हाथों में पूजन का थाल सजा हुआ…,
कर रहा था कबसे इस शुभघड़ी का इंतजार !!
( 2 ) माँ
आईं खिलखिलाते
हर्षाते मुस्कुराते द्वारे
दिल गाए और मन झूमें बनके मयूर !
चहुँओर है खिला-खिला मौसम सारा….,
आओ, चलें बाँटते आनंद खुशियाँ अपार !!
( 3 ) माँ
साथ रहेंगी
नौ दिन पूरे
दिल खोल के करूँगा स्वागत सत्कार !
तनिक ना कोई भी कौर कसर छोडूंगा…,
और चढ़ाऊंगा भोग प्रसादी सुंदर फलाहार !!
( 4 ) माँ
आकर बरसाएंगी
सरसाएंगी कृपा दुआएं
और देंगी अपना शुभाशीर्वाद लाड़ प्यार !
आओ,सभी मिलके उतारें माँ की आरती..,
और करें नित्य शुभ पावन दर्शन अति मनोहारी!!
( 5 ) माँ
हैं परमधाम
पूजनीय आद्यादेवी
करती चलें सभी का यहाँ उद्धार !
आओ, पूजें माँ भगवती सरस्वती को नित्य..,
हैं माँ जगतधातृ अम्बे शक्ति का स्त्रोत अपार !!
–सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान