मनोरंजन

ग़ज़ल – विनोद निराश

चलो दोस्तों की भी राय ले ली जाए,

क्यूँ बेवजाह दिल को सज़ा दी जाए।

 

गलतफहमियाँ हो सकती है इश्क़ में,

मिल बैठ के क्यूँ न दूर कर ली जाए।

 

मुद्दत से गाफिल है वो आसना हमसे,

आज नाराज़गी उनकी दूर की जाए।

 

उनकी बात का न करेंगे गिला कोई,

चाहे वो बुरा-भला हमें कह भी जाए।

 

कब से बोझ दिल पे उनकी बेरुखी का,

चलो उनकी गली से गुजर ही जाए।

 

बेशक हो जाए आज वो बद्जुबां मगर,

निराश लब अपने खुद-ब-खुद सी जाए।

– विनोद निराश, देहरादून

गाफिल – बेखबर

आसना – परिचित

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