महत्ता कर्म शुचिता की बताते दिन,
सजगता लाभ से हमको मिलाते दिन।
सतत आतुर रहें जो लक्ष्य पाने को,
सफलता की डगर उनको दिखाते दिन।
जिन्हें ममता, क्षमा, समता लगे प्यारी,
अधिकतम नेह उन पर ही लुटाते दिन।
प्रगति विस्तार आलस से नहीं होता,
मनुज को पाठ कर्मठता पढ़ाते दिन ।
जगत में ठोकरों से सीख लेते जो,
समय से मित्रता उनकी कराते दिन।
— मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश