मनोरंजन

यादें – रश्मि मृदुलिका

नदिया के तीरे ठंडी रेत पर,

चलते हुए तुम्हारी यादों में,

उभर आते हैं कदमों के निशान,

हृदय की नम जमीं पे मेरे,

लहरों पर तरंगे रह- रह उठती है|

मिट्टी की मूरत रेत में ढल जाती हैं|

मीठी सी सिहरन से सहम जाती है|

काया को जब ताजी हवा छूती है|

पैरों पर पानी की चिपकी बूंदें,

देर तक अहसास में भिगोती रही|

तरंगिणी के पास आकर खामोशी से

बस यूँ मेरी शाम  तेरे साथ ढलती रही,

– रश्मि मृदुलिका, देहरादून , उत्तराखंड

Related posts

एक बेटी हूँ – जितेंद्र कुमार

newsadmin

विकृत मानसिकता का शिकार बनती मासूम बच्चियां – मनोज कुमार अग्रवाल

newsadmin

ऋतुराज – कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

newsadmin

Leave a Comment