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मेरी दुश्वारियों का – सुनील गुप्ता

मेरी दुश्वारियों का

कभी नहीं बुरा माना !

चल दिए हाथ पकड़के……,

और कभी नहीं कुछ कहा सुना !!1!!

 

एक उम्र बीत गयी

पर, कभी नहीं मुड़के देखा  !

चलते रहे संग साथ सतत……,

और पलटके कभी जवाब ना दिया !!2!!

 

आए जीवन में मोड़

पर, कभी नहीं हम रुके  !

रही नहीं किसी संग होड़…..,

और ना ही हारकर कभी थके !!3!!

 

रहे संग साथ सदा

बुरा वक़्त आया गुजर गया  !

छोड़ा ना साथ कभी…….,

और हँसते हरेक दौर पार किया !!4!!

 

रहे मुश्किलातों में भी

एक दूजे के संग साथ बने  !

कभी नहीं छोड़ी आस….,

और प्रभु बंदगी करते रहे !!5!!

सुनील गुप्ता (सुनीलानंद), जयपुर, राजस्थान

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