मनोरंजन

शबरी के राम – डा० क्षमा कौशिक

आयेगे प्रभु राम आज

यह सोच कर शबरी चली

वन में भटकती घूमती

कुछ ढूंढती पथ पर बढ़ी।

 

आयेंगे श्री राम तो

क्या भोग मैं दूंगी उन्हें

यह सोचकर व्याकुल मना

पथ में चली वह अनमना

 

देख कंटक झाड़ियां

कुछ सोच कर पथ में रुकी

तोड़ लूं कुछ बेर मीठे

सोचकर आगे बढ़ी।

 

कांटे चुभे ,कर में मगर

कुछ भी नही अहसास था

श्री राम आयेंगे, हृदय में

बस यही उल्लास था।

 

चुन लिए कुछ बेर,

झोली में लिए घर को चली

अब खिलाऊंगी प्रिय को

सोच कर प्रमुदित चली।

 

देख निश्चल प्रेम

शबरी का उठे श्री राम जी

चल पड़े शबरी के अंगना

प्रिय लखन संग राम जी।।

 

हो गई मां धन्य शबरी

राम सम्मुख देख कर

थाल में ले लाई शबरी

भोग के हित बेर भर।

 

चख रही थी बेर,

खट्टे फेंक मीठे चुन लिए

वो भला कैसे खिलाती

बेर खट्टे राम को?

 

मीठे मीठे बेर लेकर

राम को देने लगी

प्रेम प्लावित नयन से

श्री राम को देखन लगी।

 

चाव से भर बेर खाए

शबरी मन हर्षित हुई

यों तपस्या आज उसकी

बरसों में पूरण हुई।

-डा० क्षमा कौशिक, देहरादून , उत्तराखंड

Related posts

हर्षोल्लास के साथ मनाया विश्वकर्मा जन्मोत्सव

newsadmin

अष्टम आयुर्वेद दिवस का शुभारंभ किया प्रभारी मंत्री ने

newsadmin

चौपाई सी तुम – राजू उपाध्याय

newsadmin

Leave a Comment