नशा कर के मुहब्बत का जिये हम,
नहीं जज्बात को घायल किये हम।
जमाने की हिदायत कर किनारे,
खुशी से प्रेम का अमृत पिये हम।
कभी जब सामना गम से हुआ तो,
खुशी से अश्रु अपने पी लिए हम।
समय की धार ने परखा हमें जब,
सहारा एक दूजे को दिए हम।
निधि अनमोल चाहत की कमाकर,
सुरक्षा हेतु अपने लब सिए हम।
— मधु शुक्ला, सतना , मध्यप्रदेश