बना दिलबर हमें अच्छा लगा वो,
मुहब्बत मे ही डूबा सा लगा वो।
हकीकत मे मिला है प्यार तेरा,
मुझे तब जान से प्यारा लगा वो।
दिखी है आज चाहत भी नजर मे,
कभी सोचूँ कही सपना लगा वो।
अचानक प्यार करता वो खुशी से,
हमे बस यार सीधा सा लगा वो।
छुपे हो यार दिल मे बन मसाफत,
करूँ सजदा खुदाया सा लगा वो।
खिला है रूप उसका दूब जैसा,
धरा का खूब हिस्सा लगा वो।
– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़