मंगल भवन अमंगल हारी, रामलला का दर्शन पाया।
रघुनंदन का रूप सलोना, देख सभी का मन हर्षाया।।
गली-गली हर चौराहे पर, चौक पूरते हैं नर-नारी।
थिरक रहें हैं पाँव सभी के, सारी दुनिया है मतवारी ।।
अवधपुरी में बजी बधाई, कैसा शुभ अवसर यह आया ।
रघुनंदन का रूप सलोना, देख सभी का मन हर्षाया।।।
कौशल्या सुत रामलला के, अभिनंदन की है तैयारी।
मंगलमय पावन बेला में , सगुन मनाते हैं त्रिपुरारी।।
सियाराम मय अवधपुरी को, देख-देख के स्वर्ग लजाया ।
रघुनंदन का रूप सलोना, देख सभी का मन हर्षाया।।
मर्यादा पुरुषोत्तम जी पर, रीझ रही है दुनिया सारी।
हर मानव के उर में बैठे, धड़क रहे हैं प्रभु अवतारी।।
पाँच सदी के बाद अवध में, धर्म सनातन ध्वज लहराया।
रघुनंदन का रूप सलोना, देख सभी का मन हर्षाया।।।
मंगल भवन अमंगल हारी, रामलला का दर्शन पाया।
रघुनंदन का रूप सलोना, देख सभी का मन हर्षाया।।
– डा० नीलिमा मिश्रा, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश