मनोरंजन

गीतिका – मधु शुक्ला

नाम नहीं प्रिय आप हमारे, हैं जीवन आधार,

साथ आपका मेरे मन को, देता खुशी अपार।

 

चूड़ी, बिंदिया, पायल, बिछिया, ये तब ही अनमोल,

जब मेरे मन के मोती को, आप करें स्वीकार।

 

पाकर पिय विश्वास आपका, हुई जिंदगी धन्य,

हर पल मन आँगन में होती, खुशियों की बौछार।

 

मर्यादा रक्षक,पालक है, नाम आपका सत्य,

संबधों में नाम नहीं बस, लाता नेह बहार।

 

आत्म मिलन ही नाम मिलन से, होता अधिक सशक्त,

जीवन साथी लगे इसी से, हमें गले का हार।

– मधु शुक्ला, सतना, मध्यप्रदेश

Related posts

गीत – अनुराधा पाण्डेय

newsadmin

उनकी चली वो बली है – अनिरुद्ध कुमार

newsadmin

प्रभाती मुक्तक: – कर्नल प्रवीण त्रिपाठी

newsadmin

Leave a Comment