करतें हैं प्यार तुमसे निभाया गया न था,
छिपती नही वफा कि छिपाया सदा न था।
छाने लगा नशा भी तुम्हारे ही प्यार का,
महसूस सा हुआ है मगर ये नशा न था।
लगता था प्यार उनका भरा खुशी से था,
लेकिन उन्हे तो प्यार से वास्ता न था।
चाहत भी आज हमको सताने लगी बड़ी,
लेकिन ये नफरतो का भी हमको पता न था।
हम झेलते रहे वही बातें जो दर्द दे,
सहते रहे वो,जिसमे हमारा नफा न था।
– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़