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ग़ज़ल – रीता गुलाटी

करतें हैं प्यार तुमसे निभाया गया न था,

छिपती नही वफा कि छिपाया सदा न था।

 

छाने लगा नशा भी तुम्हारे ही प्यार का,

महसूस सा हुआ है मगर ये नशा न था।

 

लगता था प्यार उनका भरा खुशी से था,

लेकिन उन्हे तो प्यार से वास्ता न था।

 

चाहत भी आज हमको सताने लगी बड़ी,

लेकिन ये नफरतो का भी हमको पता न था।

 

हम झेलते रहे वही बातें जो दर्द दे,

सहते रहे वो,जिसमे हमारा नफा न था।

– रीता गुलाटी ऋतंभरा, चण्डीगढ़

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