मनोरंजन

गीत – मधु शुक्ला

परीक्षा बालकों की जब कभी नजदीक आती है।

सदा अभिभावकों की नींद उनसे रूठ जाती है।

 

पिता माँ चाह रखते हैं अधिकतम अंक की जिससे।

सुनो बेटा न खेलो तुम पढ़ो हरदम कहें हठ से।

अधिक चिंता पढ़ाई की न बचपन को लुभाती है – – – -।

 

हुई शिक्षा समय के साथ मँहगी और दुष्कर भी।

बड़ी है बात यह उससे न मिलता काम उस पर भी।

इसी से पालको को हर घड़ी चिंता सताती है….. ।

 

करें कैसे सुखद संतान का कल ये परीक्षा है।

इसी के हेतु अभिभावक दिलाता श्रेष्ठ शिक्षा है।

गुजरते सब परीक्षा से परीक्षा ज्ञान दाती है……. ।

— मधु शुक्ला, सतना , मध्यप्रदेश

Related posts

2 अक्तूबर- डा० क्षमा कौशिक

newsadmin

गीतिका – मधु शुक्ला

newsadmin

आंसू – प्रीति यादव

newsadmin

Leave a Comment