मनोरंजन

गीतिका – मधु शुक्ला

उदासी ओढ़ने से गम नहीं मिटता,

करे वह कर्म उत्तम जो सदा हँसता।

 

कुसुम से दूर कंटक युक्त जीवन ही,

करे उन्नति सभी की प्रेरणा बनता।

 

लुभाता मुस्कुराता मुख यही सच है,

हँसे जब व्यक्ति जन मन पीर को हरता।

 

समय लेता परीक्षा ज्ञात यह सबको,

तजो चिंता सभी का ध्यान वह रखता।

 

खुशी गम मेल से ही जिंदगी बनती,

समझता बात जो वह खुश सदा रहता।

— मधु शुक्ला, सतना , मध्यप्रदेश .

Related posts

लौट आओ (लघु कथा) – झरना माथुर

newsadmin

गजल – मधु शुक्ला

newsadmin

ग़ज़ल – रूबी गुप्ता

newsadmin

Leave a Comment